1. शिक्षण एवं सतत मूल्यांकन के माध्यम से छात्रों को पाठ्य सामग्री का समुचित बोध प्रदान करना तथा उनके द्वारा अर्जित ज्ञान को सामाजिक व्यवहार से जोड़ने की दृष्टि विकसित करनाण्
2.शिक्षण एवं शोधकार्य हेतु सकारात्मक वातावरण और शैक्षणिक संसाधन विकसित करना।
3. छात्रों की वैचारिक दृष्टि तथा कल्पनाशीलता को मुक्त करने के लिए विचार और विश्लेषण का उपक्रम निर्मित करना।