संक्षेप
भारत और चीन विश्व के दो प्राचीनतम एवं महान सभ्यताओं का देश है। प्राचीन काल से ही दोनों राज्यों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे है। आजादी के बाद से पिछले 70 वर्षों में चीन भारत सीमा विवाद ने एक ऐसी समस्या को जन्म दिया है जिसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है साल 1950 में जब पीआरसी ने तिब्बत पर अपना कब्जा किया उस दिन से चीन और भारत के बीच विश्व के सबसे बड़ी आनिर्धारित सीमाओं का उद्भव हुआ। परिणामस्वरुप 1962 में सीमा विवाद भारत और चीन के बीच युद्ध का कारण बना। युद्ध ने विपक्षी संबंधों पर गहरा आघात छोड़ा। इसी तरह 1967 में नाथूला और चो ला सीमा पर संघर्ष,1987 में सुमदोरोंग चू संघर्ष सीमा संघर्ष, 2013 में देपसांग संघर्ष 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी संघर्ष तथा 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में संघर्ष तमाम सीमा विवाद के प्रमुख उदारहण हैं। 21 वीं सदी में चीन का उदय सबसे बड़ा भू राजनीतिक घटनाक्रम है। चीन और भारत विश्व की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। जिनके बीच मुख्य प्रतिस्पर्धा दक्षिण एशिया और विश्व स्तर अपना प्रभाव स्थापित करना हैं। दोनों देशों की राष्ट्रवादी सरकारों ने सीमा विवाद पर अपना रुख सक्त रखा है, जिसके कारण 2013 के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा झड़प के मामलो में वृद्धि हुई हैं। विवाद का समाधान अभी भी असंभव है। दोनों देशों ने स्।ब् के पास इस क्षेत्र में लड़ाकू विमान,जेट, टैंक अन्य आधुनिक सैन्य तकनीकी सहित बड़ी मात्रा में सैनिक तंत्र स्थापित किए हैं, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए दूरगामी परिणाम के साथ अंतर्राज्यीय संघर्ष को भी अंजाम दे सकता है। सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच मुख्य रूप से निवेश और व्यापार पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। प्रस्तुत शोध पत्रिका भारत चीन के बीच सीमा संघर्ष का तुलनात्मक अध्ययन कर विवाद के संभावित कारणों का पता लगाना है।
प्रमुख शब्दावली:- सभ्यताओं, मैत्रीपूर्ण, तिब्बत, लद्दाख, भू राजनीतिक, अर्थव्यवस्था, स्।ब्ए लड़ाकू विमान, अंतर्राज्यीय संघर्ष