मेरे साथ बहुत से लोग लिख रहे थे, उन लिखने वालों में अब मैं ही दिख रहा हूँ रू विनोद कुमार शुक्ल’
दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक एवं शोधार्थी हिन्दी के वरिष्ठ कवि कथाकार उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल से आत्मीय मुलाकात करने शैलेन्द्र नगर रायपुर स्थित उनके आवास गये। यह भेंट मुलाकात विनोद कुमार शुक्ल जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने की घोषणा के पश्चात बधाई शुभकामना एवं अभिनन्दन के रूप में रहा ।
विस्तृत जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष हिन्दी डॉ. अभिनेष सुराना ने बताया कि शुक्ल जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने की घोषणा से राजनांदगाँव रायपुर सहित पूरा छत्तीसगढ़ और देश की हिन्दी बिरादरी गौरवान्वित है । पुरस्कार के लिए उनका चयन करने से ज्ञानपीठ स्वयं सम्मानित हुआ है । डॉ. रजनीश उमरे एवं डॉ. सुबोध देवाँगन ने बताया कि विनोद कुमार शुक्ल का लेखन छह दशकों से भी अधिक की समयावधि का रागात्मक व संवेदनशील जीवंत साक्ष्य है। उनकी रचनाओं में स्थानीयता के साथ वैश्विक परिदृश्य की रचनात्मक पड़ताल है ।
इस अवसर पर हिन्दी विभाग के प्रतिनिधियों ने शुक्ल जी को पुष्पगुच्छ, शाल और श्रीफल से ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की शुभकामना दे कर उनका आत्मीय अभिनन्दन किया। उपस्थित शुभाकांक्षियों ने शुक्ल जी से उनके राजनांदगाँव की स्मृतियों को सुना । कविता , कहानी , उपन्यास लेखन पर उनकी बेबाक विचार दृष्टि से अवगत हुए। शुक्ल जी ने लेखक प्रकाशक के कटु-तिक्त सम्बन्धों को भी रेखांकित किया । इस अवसर पर विनोद कुमार जी ने अपनी चयनित कविताओं का पाठ भी किया ।
इस सौजन्य भेंट मुलाकात में विनोद कुमार शुक्ल की धर्मपत्नी अंजना शुक्ल, वरिष्ठ समीक्षक रचनाकार रमेश अनुपम के साथ हिन्दी विभाग की डॉ. ओमकुमारी देवाँगन, डॉ. रमणी चन्द्राकर, डॉ. लता गोस्वामी, शोधार्थी नीलम, जीतेश्वरी, संग्रामसिंह, कपिल, टेकलाल, निमाई प्रधान, बेलमती पटेल, निर्मला पटेल, लक्ष्मीन चैहान की उपस्थिति रही ।