साईंस कालेज, दुर्ग में भूगर्भषास्त्र विभाग में आमंत्रित व्याख्यान
क्रिटिकल मिनरल्स का संधारण वर्तमान समय की मांग - भुनेष्वर कुमार
क्रिटिकल मिनरल्स का संधारण वर्तमान समय की मांग है। हम सभी को खनिजों के उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि क्रिटिकल मिनरल्स का कम से कम खर्च करते हुए उनका उपयोग करें। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के भूगर्भषास्त्र विभाग द्वारा आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में मिनरल एक्सप्लोरेषन कार्पोरेषन लिमिटेड के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक श्री भुनेष्वर कुमार ने व्यक्त किये। श्री भुनेष्वर ने बड़ी संख्या में उपस्थित भूगर्भषास्त्र के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक देष में उपलब्ध खनिज संसाधनों की उपलब्धतता के आधार पर उन्हें क्रिटिकल अथवा आवष्यक खनिजों की श्रेणी में रखा जाता है। जहां तक हमारे भारत देष का संबंध है, तो यहां लिथियम, कोबाल्ट, निकल, वेनेडियम, जर्मनेयिम, बेरेल्यिम, इन्ट्रानिषयम, जिरकाॅनियम, ग्रेफाइट, मैग्नीज, क्रोमियम तथा सीलिकाॅन को क्रिटिकल खनिजों की सूची में शामिल किया गया है।
भूगर्भषास्त्र के सहायक प्राध्यापक डाॅ. प्रषांत श्रीवास्तव ने बताया कि श्री भुनेष्वर कुमार ने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ में हाॅल ही में लिथियम के निकक्षेप पाए गए है। यह हर्ष का विषय है। स्नातकोत्तर भूगर्भषास्त्र के विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये प्रष्न के उत्तर में श्री भुनेष्वर कुमार ने कहा कि किसी भी मिनरल का क्रिटिकल कहलाना इस बात पर निर्भर करता है, कि उसका आर्थिक महत्व कितना है तथा उसे खदानों से विभिन्न प्रतिष्ठानों तक पहुंचाने मंे सप्लाई रिस्क कितना है। इन दोनों प्रमुख बिंदुओं के आधार पर कोई देष किसी खनिज को क्रिटिकल अथवा आवष्यक खनिज घोषित करता है। आमंत्रित व्याख्यान के आरंभ में भूगर्भषास्त्र के अतिथि सहायक प्राध्यापक डाॅ. विकास स्वर्णकार ने वक्ता श्री भुनेष्वर कुमार का परिचय दिया। भूगर्भषास्त्र की स्नातकोत्तर छात्राओं ने पुष्पगुच्छ भेंटकर अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर शोध छात्र पुकेष कुमार नाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही।