साईंस कालेज, दुर्ग में वीर बाल दिवस का भव्य आयोजन
वीर बाल दिवस सिखों की शहादत के प्रति सम्मान का दिन
वीर बाल दिवस सिखों की शहादत के प्रति सम्मान का दिन का है। हम सभी को गुरू गोविंद सिंह जी के चार वीर पुत्रों के अद्वितीय बलिदान और साहस का सम्मान करना चाहिए। यह निष्कर्ष आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में राधाकृष्णन हाॅल में आयोजित बाल वीर दिवस समारोह के दौरान विभिन्न वक्ताओं के द्वारा दिए गए उद्बोधन में सामने आया। यह जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालक डाॅ. ज्योति धारकर ने बताया कि लगभग 500 से अधिक छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों की उपस्थिति में अपना आमंत्रित वक्तव्य देते हुए भिलाई इस्पात संयत्र से सेवानिवृत्त मुख्य वक्ता डाॅ. साहेब सिंह जी ने बताया कि वीर बाल दिवस गुरू गोविंद सिंह के छोटे साहिब जादों - जोरावर सिंह तथा फतेहसिंह के बलिदान को समर्पित है। धर्म व मानवता के रक्षा के लिए जब उन्होंने अपने प्राण निछौवर किये तक जोरावर सिंह की उम्र मात्र 9 वर्ष तथा फतेहसिंह जी की उम्र मात्र 6 वर्ष थी। श्री साहेब सिंह जी ने विस्तार से सिख धर्म की परंपराओं एवं विरासत पर प्रकाष डालते हुए बालकों की शहादत का शब्द चित्र प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साईंस कालेज, दुर्ग के प्राचार्य डाॅ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि सिख धर्म की बलिदान की महान परंपरा को जन-जन तक पहुंचाना ही इस कार्यक्रम का उद्देष्य है। डाॅ. सिंह ने धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाष भी डाला। महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. एच.पी. सिंह सलूजा ने सिख गुरूओं के सम्पूर्ण इतिहास एवं वीर बालकों की शहादत से संबंधित रोमांचक विवरण प्रस्तुत किया। डाॅ. सलूजा ने सिख बालकों के साथ किए गए अत्याचार तथा विभिन्न प्रताड़नों का जब उल्लेख किया तो पूरे राधा कृष्णन सभागार में सन्नाटा छा गया। प्रत्येक उपस्थित प्रतिभागियों का सर सिख बालकों के बलिदान के आगे नतमस्तक हो गया। महाविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डाॅ. तरलोचन कौर संधू ने बाबा जोरावर सिंह तथा बाबा फतेह सिंह की शहादत पर वक्ताओं द्वारा दिए गए ऐतिहासिक व्याख्यानों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने गुरूमुखी भाषा में सिखों के बलिदान से संबंधित कुछ कविताऐं भी प्रस्तुत की।
माता सरस्वती की पूजन के साथ आरंभ हुए इस कार्यक्रम में राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डाॅ. शकील हुसैन ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि 26 दिसंबर ही नही बल्कि सम्पूर्ण दिसंबर माह सिख धर्म के बलिदान की याद दिलाता है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अर्थषास्त्र की विभागाध्यक्ष डाॅ. के. पद्मावती ने किया।