बंगलुरू में आयोजित दक्षिण पूर्वी जोनल स्तरीय युवा उत्सव साईंस कालेज, दुर्ग की टीम ने मारी बाजी, समूह लोक नृत्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया

 
बंगलुरू में आयोजित दक्षिण पूर्वी जोनल स्तरीय युवा उत्सव 
साईंस कालेज, दुर्ग की टीम ने मारी बाजी, समूह लोक नृत्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया 

क्राइस्ट डीम्ड युनिवर्सिटी, बंगलुरू में 19 से 23 दिसम्बर तक आॅल इंडिया एसोसिएषन आॅफ सुनिवर्सिटीज द्वारा आयोजित दक्षिण पूर्वी जोनल स्तरीय युवा उत्सव के अंतर्गत जनजातीय समूह लोक नृत्य, प्रतियोगिता में हेमचंद यादव विष्वविद्यालय, दुर्ग की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। विष्वविद्यालय के इतिहास में यह पहला अवसर है, जिसमें समूह नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। यह जानकारी देते हुए साईंस कालेज, दुर्ग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. प्रषांत श्रीवास्तव ने बताया कि हेमचंद यादव विष्वविद्यालय, दुर्ग की इस टीम में पूरे प्रतिभागी शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के नियमित छात्र-छात्राएंे है। अब यह टीम आगामी मार्च में नोयडा उत्तर प्रदेष में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय युवा उत्सव में हेमचंद यादव विष्वविद्यालय, दुर्ग की टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी। 
डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि इस विजेता टीम के मैनेजर के रूप् में शासकीय इंदिरा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वैषाली नगर, भिलाई की सहायक प्राध्यापक डाॅ. चांदनी मरकाम तथा साईंस कालेज, दुर्ग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. तरूण साहू शामिल थे। प्रतिभागियों में साईंस कालेज, दुर्ग के मोरध्वज, सारिका, क्षमा देवांगन, तारिणी विष्वकर्मा, तुकेष्वर साहू, तोषण लाल, द्रविण कुमार देषमुख, मीनेष यादव, रिंपा नायक तथा चंचल ठाकुर शामिल थे। विष्वविद्यालय की समूह नृत्य की विजेता टीम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विष्वविद्यालय के कुलसचिव श्री भूपेन्द्र कुलदीप तथा साईंस कालेज, दुर्ग के प्राचार्य डाॅ. अजय सिंह ने सभी प्रतिभागियों की कड़ी मेहनत एवं शानदार सफलता पर बधाई दी। विष्वविद्यालय की टीम ने जनजातीय लोक नृत्य के अंतर्गत आराध्य बूढ़ा देव की आराधना पर केन्द्रित लोक नृत्य प्रस्तुत किया जिसका बंगलुरू में उपस्थित सभी विष्वविद्यालयों की टीम ने जोरदार तालियां बजाकर प्रषंसा की। साईंस कालेज, दुर्ग की टीम को तैयार करने में महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. के. पद्मावती, डाॅ. ज्योति धारकर, डाॅ. जी.एस. ठाकुर, डाॅ. निगार अहमद, डाॅ. तरलोचन कौर, डाॅ. मीना मान का उल्लेखनीय योगदान रहा।