विज्ञान और तकनीकी नवाचारों से सीखने और समझने का अवसर

 
विज्ञान और तकनीकी नवाचारों से सीखने और समझने का अवसर
विज्ञान की उज्ज्वल परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में सशक्त प्रयास

शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में  त्मबमदज ज्तमदके पद ैबपमदबम ंदक म्दहपदममतपदह अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन के तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से डॉ नारायण प्रसाद अधिकारी ने कहा कि आज के परिवेश में अधिकतम समस्याओं का समाधान टेक्नोलॉजी से ही संभव है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन के माध्यम से युवाओं को विज्ञान और तकनीकी से संबंधित हो रहे नवाचारों से सीखने और समझने के विभिन्न अवसर प्राप्त होते हैं। मुझे विश्वास है कि 3 दिनों के इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में युवा वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिकों के ज्ञान का अनुभव एवं लाभ शोधार्थियों को प्राप्त होगा। समापन सत्र में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में उपस्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से प्रो रामेश्वर अधिकारी ने अपने उद्बोधन में इस अंतरष्ट्रीय सम्मलेन की सफलता की प्रशंसा की। ऐसे आयोजनों से शोधार्थियों को बहुत नवीनतम जानकारी प्राप्त होती है तथा शोधार्थियों को भविष्य में आगे बढ़ने में उपयोगी सिद्ध होगा। नवीनतम टेक्नोलॉजी से विद्यार्थियों को अवगत कराने हेतु समय-समय पर इस तरह के आयोजन अति आवश्यक है। शोधार्थियों को नई तकनीक से मानव जीवन को सरल एवं सुगम बनाने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए।
प्राचार्य डॉ. एम. ए. सिद्दीकी ने विद्यार्थियों को सतत परिश्रम करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, उन्होंने कहा कि यदि इस सम्मेलन में शोधकर्ता नई टेक्नोलॉजी जानकर उसको अपने शोध में सम्मिलित करें तो इस सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी तथा राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने के लिए शोधार्थियों का प्रयास सफल होगा। अपने उद्बोधन में डाॅ. सिद्दीकी ने कहा कि विज्ञान के विद्यार्थी और विज्ञान के शोधार्थी अपनी शिक्षा अपने अनुसंधान को गुणवत्तापूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने इसके लिए ऐसे आयोजन महाविद्यालय द्वारा कराये जाते है।् शोधकर्ताओं  को विज्ञान की उज्ज्वल परंपराओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में सशक्त प्रयास करना चाहिए, उन्होंने बदलते परिवेश के साथ स्किल की आवश्यकता पर जोर दिया।
सम्मेलन के संयोजक डॉक्टर विकास दुबे ने सम्मेलन की सारगर्भित जानकारी प्रदान की इस सम्मेलन में विभिन्न देशो नेपाल, चाइना, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, नाइजीरिया, म्यांमार और भारत के विभिन्न प्रांतो से शोधकर्ताओ ने अपने शोध कार्य पर चर्चा की। इस सम्मेलन का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं को नई प्रणालियों एवं नवीन शोध से अवगत कराना था, ताकि शोध करते समय समस्याओं एवं उनके निवारण हेतु नई तकनीक की संभावनाओं का मंथन किया जा सके।
डॉ सीतेश्वरी चंद्राकर ने मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतीकरण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। पोस्टर प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर आशुतोष पटेल, द्वितीय स्थान पर अदिति बंजारे और प्रथम स्थान पर एन. आई. टी. वारंगल  से  पी. चैतन्य रहे। मौखिक प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर शिरीन, द्वितीय स्थान पर नीरज वर्मा और प्रथम स्थान राजरूपा बनर्जी ने प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार सपना सोनी और चंद्रशेखर वर्मा को दिया गया। सभी उत्कृष्ट शोधार्थियों को पुरुस्कार एवं प्रमाण पत्र अतिथियों, प्राचार्य और सम्मलेन के संयोजको द्वारा दिया गया । कार्यक्रम का कुशल सं्चालन डॉ कुसुमांजलि देशमुख ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन डॉ सुधन्वा पात्रा द्वारा दिया गया। अपने फीडबैक में शोधार्थियों ने इस यादगार सम्मलेन को अधिक से अधिक नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का माध्यम बताया।  महाविद्यालय और  आई आई टी भिलाई को त्वरित सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।  डॉ विकास दुबे ने अपने प्रस्तुतीकरण में फास्फर मैटेरियल का बायोमेडिकल एवं ड्रग डिलीवरी एप्लीकेशन में उपयोग बताये। फॉस्फर की सहायता से यूवी ऊर्जा को दृश्य प्रकाश मैं बदला जा सकता है। डॉ विकास दुबे ने शोध में अपना कैरियर चुनने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया उन्होंने आने वाले समय में किन चीजों की डिमांड होगी वर्तमान में क्या मांग है इस विषय पर विद्यार्थियों को गाइड किया। इसके साथ इनोवेटिव थिंकिंग पर जोर देने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। इस तकनीकी सत्र का संचालन डाॅ. जगजीत कौर सलूजा एवं डाॅ. अभिषेक कुमार मिश्रा द्वारा किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा ने ऑर्गनाइजिंग कमेटी को धन्यवाद एवं विद्यार्थियों को अपने भविष्य में सफल होने की शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ जगजीत कौर सलूजा डॉ. आर. एस. सिंह, डॉ अनीता शुक्ला डॉ  सीतेश्वरी चंद्राकर, डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा, डॉक्टर कुसुमांजलि देशमुख, डॉ विकास दुबे, ड़ॉ ममता परगनिहा,  भूपेंद्र दास, नीरज यादव, पायल नामदेव, खुषबू साहू , श्री नीरज वर्मा, श्री तीरथ सिन्हा, आई. आई. टी. भिलाई के डॉ. सुधनवा पात्रा, डॉ. धु्रवप्रताप सिंह, समस्त शैक्षिणक एवं अशैक्षणिक, शोधार्थी एम.एससी. द्वितीय एंव चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का योगदान रहा। कार्यक्रम के दौरान डॉ अनुपमा अस्थाना,  डॉ अनिल कुमार,  डॉ अजय कुमार सिंह, डॉ हरजिंदर सिंह सलूजा, डॉ पद्मावती डॉ. ए. के. खान, डाॅ. अभिनेष सुराना, डाॅ. शकील हुसैन, डाॅ. संजू सिन्हा, डाॅ. अलका मिश्रा, डाॅ. प्रीति चन्द्राकर सहित विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में 200 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया, सभी उपस्थित शोधार्थी को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। सभी शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने इस सम्मेलन की प्रशंसा की एवं आयोजित टीम को बधाई दी।