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शोध विषय का चयन एवं पध्दति शास्त्र प्रत्येक शोधकर्ता हेतु महत्वपूर्ण होता है। शोधकर्ताओं को शोध विषय के चयन के पूर्व साहित्य अध्ययन के माध्यम से विषय से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित करनी चाहिए। इसके पश्चात् ही शोध की दशा एवं दिशा तय होती है। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में शोध पध्दति शास्त्र विषय पर चल रही तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन आमंत्रित वक्ताओं ने व्यक्त किये। महाविद्यालय के स्वामी विवेकानंद आॅडियो विजुअल हाॅल में आज तीन आमंत्रित व्याख्यान आयोजित हुए। प्रथम तकनीकी सत्र में सेंट थाॅमस महाविद्यालय भिलाई की मनोविज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापक, डाॅ. देवजानी मुखर्जी ने शोध पध्दति शास्त्र के विभिन्न बिंदुओं का गहराई से विश्लेषण करते हुए शोध विषय के चयन, उससे संबंधित आंकड़ों का संग्रहण, सर्वेक्षण की कार्यप्रणाली तथा प्राप्त होने वालों आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण एवं प्रस्तुतिकरण पर रोचक व्याख्यान दिया। डाॅ. मुखर्जी ने बताया कि चरणबध्द शोध कार्य से जहां एक ओर शोधार्थी को अकादमिक सफलता प्राप्त होती है। वहीं दूसरी ओर सामाजिक हितों की रक्षा तथा समाज से जुड़े ज्वलंत मुद्दो को सुलझाने में शोधार्थी अपने महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। डाॅ. मुखर्जी ने शोध प्रश्नावली के संबंध में विस्तृत व्याख्यान दिया।