केन्द्रीय पुस्तकालय के द्वारा एन्टीप्लेजिरिज्म साॅफ्टवेयर एवं ई-सूचना स्रोतों पर कार्यषाला आयोजित श्साॅप्टवेयर से शोध चोरी रोकना असान

 
शासकीय विष्वनाथ यादव तामस्मकर स्नातकोत्तर स्वषासी महाविद्यालय में केन्द्रीय पुस्तकालय के द्वारा एन्टीप्लेजिरिज्म साॅफ्टवेयर एवं ई-सूचना स्रोतों पर कार्यषाला आयोजित 
श्साॅप्टवेयर से शोध चोरी रोकना असान होगाश् - डाॅ. सिंह  

महाविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय एवं शोध प्रकोष्ठ के तत्वाधान में शोधार्थियों, शोध निर्देषकों एवं प्राध्यापको के लिये शोध कार्याे एवं शोध प्रकाषनों की गुणवत्ता को उत्कृष्ट बनाने हेतु एन्टीप्लेजिरिज्म साफ्टवेअर एवं ई-सूचना स्रोतों की ऐक्सेस संबंधी एक दिवसीय कार्यषाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की रूपरेखा विनोद कुमार अहिरवार ग्रंथपाल ने प्रस्तुत की। प्लेजरिज्म की धारणा को शोध प्रकोष्ठ के संयोजक डाॅ अनिल कुमार ने प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ आर. एन. सिंह ने महाविद्यालय में ऐन्टीप्लेजरिज्म साफ्टवेयर एवं जे-गेट में उपलब्ध सूचना स्रोतों को अधिक से अधिक उपयोग करने हेतु प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। डाॅ आर. एन. सिंह ने शोध कार्यो की गुणवत्ता हेतु उपलब्ध अधोसंरचना को और अधिक विकसित करने पर जोर दिया तथा कहा कि साॅप्टवेयर से शोध चोरी रोकना असान होगा। 
कार्यषाला में जे-गेट के संयोजक श्री महेन्द्र सरकार ने जे-गेट डाटाबेस में उपलब्ध ई-सूचना स्रोतों को खोजने एवं डाउनलोड करने सबंधी विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। कार्यषाला में एन्टीप्लेजरिज्म साफ्टवेअर से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी ड्रिलबिट के संयाजक श्री अभयांष सिंह ने दी। एन-लिस्ट में उपलब्ध सूचना स्रोतों को ऐक्सेस करने संबंधी जानकारी देते हुये श्री विनोद कुमार अहिरवार ने बताया कि इसमें 6000 से अधिक शोध पत्रिकाओं एवं 32 लाख से अधिक ई-पुस्तकों को सहजता से ऐक्सेस एवं डाउनलोड किया जा सकता है। इस कार्यषाला से शोधार्थियों को अपने शोध में डूप्लीकेसी से बचने में मदद मिलेगी। शोधार्थी शोध को किसी पत्रिका में छपवाने अथवा पीएचडी शोध जमा करने के लिए उस शोध में कितना शोध का पार्ट अन्य शोध से लिया गया है की जानकारी मिल सकेगी अर्थात् शोध चोरी से बचा जा सकेगा। आज शोध की डूप्लीकेसी जितनी कम होगी शोध उतना ही अच्छा माना जाता है। ऐसे साॅप्टवेयर से शोध की चोरी को रोका जा सकेगा। उक्त संबंध में शोधार्थियों, शोध निर्देषकों को पर्याप्त जानकारी प्रदाय की गयी। महाविद्यालय में उपलब्ध साॅप्टवेयर से महाविद्यालय के शोधार्थी लाभांवित होगें ही, संभाग के अन्य जिलों के शोधार्थी भी इसका लाभ उठा सकते है। 
कार्यषाला में बड़ी संख्या में शोधार्थी, शोध निर्देषक, प्राध्यापक एवं पुस्तकालय के कर्मचारी अनुराग पाण्डेय एवं संतोष चन्द्राकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संचालित करने में डाॅ श्रीनिवास देषमुख एवं पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका राजलक्ष्मी पाण्डेय का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में पुस्तकालय एंव सूचना विज्ञान विभाग के विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।