दैनिक जीवन में घटित सामान्य घटनायें भी उच्च स्तरीय शोध का आधार बनती है -डाॅ. एच.के. पाठक

 
दैनिक जीवन में घटित सामान्य घटनायें भी उच्च स्तरीय शोध का आधार बनती है -डाॅ. एच.के. पाठक
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के गणित विभाग में गणित परिषद का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारती विष्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डाॅ. एच.के. पाठक ने ‘संस्कृति और गणित‘ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि जिस क्षेत्र का गणित जितना उच्च होता है उस क्षेत्र की संस्कृति भी उतनी ही उत्कृष्ट होती है। प्राचीन भारत में ज्यामिति गणित अपने उच्च स्तर पर था जिसका प्रमाण देषभर मेें फैली उच्चकोटि की इमारतें हैं। विष्व प्रसिध्द शोध पत्रिकाओं में 300 से अधिक शोध पत्रों और विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पुस्तकों के लेखक डाॅ. पाठक ने विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारतीय गणितज्ञों की तलाष उन्हें आज भी है। परिषद प्रभारी डाॅ. प्राची सिंह ने बताया कि स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की पढ़ाई के अतिरिक्त छात्रों की प्रतिभा को निखारने के लिए इस परिषद का गठन किया जाता है, जिसमें वर्ष पर्यन्त विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की शैक्षणेत्तर गतिविधियों में शामिल होते हैं। इसी क्रम में पहले कार्यक्रम के तहत तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों का स्वागत विभिन्न प्रतियोगिताऐं जैसे रंगोली, सलाद सज्जा, एकल गायन आयोजित करके किया। गणित परिषद का उद्घाटन कीमिका और सार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना और अमीषा और साथियों द्वारा प्रस्तुत स्वागत गान से प्रारंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत भारतीय परंपरानुसार कुमकुम टीका और श्रीफल भेंटकर किया गया। परिषद के संरक्षक की आसंदी से बोलते हुए संस्था के प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आपके सामने डाॅ. पाठक जैसा एक आदर्ष प्रस्तुत हैं। आपका पथ प्रदर्षक आपके सामने है उनका लाभ उठाकर आप हर सफलता प्राप्त कर सकते है। 
विभागाध्यक्ष डाॅ. एम.ए. सिद्दीकी ने बताया कि यद्यपि डाॅ. पाठक का नाम उच्च स्तरीय शोध कार्यों के लिये विष्व स्तर पर जाना जाता है तथापि विद्यार्थियों का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो पाठक सर के इस विद्वता के अलावा उनके द्वारा सरल एवं प्रचलित शब्दों में लिखित गणित की पुस्तकों की एक विषाल श्रृंखला से लाभांवित होकर अपने कैरियर को संवार रहा है। उल्लेखनीय है कि पाठक सर की गणित में लिखित किताबें बीएससी प्रथम वर्ष से एमएससी तक के विद्यार्थियों हेतु समस्त प्रष्न प्रत्रों का एक नायाब खजाना है।   
विभाग की डाॅ. पद्मावती ने पदाधिकारियों का परिचय देते हुए पाठक सर की सहजता और सरलता की तुलना फलदार वृक्ष से की तथा विद्यार्थियों को भविष्य में उनके जैसे बनने को प्रोत्साहित किया। 
इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा प्रतिवर्ष संकलित अनूठी पत्रिका ष्गणित सुमनष् का विमोचन किया गया। 
डाॅ. प्राची सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद देते हुए बताया कि डाॅ. पाठक का शोध कार्य आज से नही अपितु 80 के दषक से विष्वस्तरीय रहा है तथा उनकी तुलना भारत के महान गणितज्ञों से करते हुए जानकारी दी कि डाॅ. पाठक ऐबल पुरस्कार हेतु नामांकित किए जा चुके है।