मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण

डाॅ. अश्विनी महाजन

प्रस्तुत शोध  पत्र ‘‘मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण’’ पर आधारित है एवं अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले के दुर्ग एवं भिलाई हरी क्षेत्र में निवासरत मुस्लिम परिवारों का चयन किया गया है। प्रस्तुत शोध  के अध्ययन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्राथमिक एवं द्वितीयक आंकड़ों का प्रयोग किया गया है जिसमें क्षेत्र के मुस्मिल परिवारों से 18 से अधिक आयु वर्ग के तलाक़शुदा  120 महिलाओं का चयन कर साक्षात्कार अनुसूची द्वारा तथ्यों को संकलित किया गया है, जिसके अंतर्गत दुर्ग-भिलाई शहरी क्षेत्र में संकेन्द्रित रूप में निवास करने वाले परिवारों के महिलाओं का चयन किया गया है जो तीन तलाक जैसे कुप्रथा के कारण अपने परिवार से अगल हुए हैं। शोध  पत्र में जनप्रतिनिधियों की शिक्षा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक एवं सामाजिक स्थितियों से संबंधित तथ्यों को संकलित व विश्लेषण  करने पर यह तथ्य प्राप्त हुआ है कि वर्तमान समय में मुस्लिम महिलाओं के लिए लागू तीन-तलाक (मुस्लिम महिला अधिकार एवं संरक्षण कानून, 2019) उक्त तथ्यों के विश्लेषण  से ज्ञात हुआ है कि अधिकां महिला  एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। जिससे मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हुए सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान किया है। मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा की कमी एवं आत्म-निर्भरता का न होना एक बड़ी समस्या है जिसके कारण पुरूष प्रधान समाज में महिालाओं को सामाजिक-आर्थिक के साथ-साथ मानसिक एवं परिवारिक समस्याओं से ग्रस्त है तथा पारंपरिक एवं रूढ़िवादी समाज होने के कारण इस वर्ग की महिलाओं के लिए शासकीय प्रयास भी विफल होते नज़र आते हैं।
शब्द कुँजी: सामाजिक कुप्रथा, मुस्लिम महिला अधिकार एवं संरक्षण कानून, तीन तलाक व सामाजिक दृष्टिकोण। 

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How to cite this article:
महाजन अ. (2023): मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण research Expression 6:9 p. 10-18