गांधी परिवर्तनवादी है किन्तु न तो वह उद्भट दार्शनिक है न उत्कृष्ट चिंतक बल्कि गांधी सर्वोत्कृष्ट और अनुकरणीय राजनीतिक क्रियाविद् है । गांधी किसी “वाद” के पाश से मुक्त हैं । गांधी की परिवर्तनवादी दृष्टि इतिहासवादी नही है । अतः गांधी की शैली बौद्धिक व्यायाम की बजाय कार्यकर्ता की है । उन्होनें बाइबिल और गीता के उपदेशों, रस्किन, थोरो एवं टालस्टाय से जो प्राप्त किया उसे राजनीतिक क्रियाविधिका रूप दिया । वही उनके सिद्धांत है । वे न तो उद्भट दार्शनिक है न चिंतक किन्तु क्रियाविद् के रूप में अतुलनीय हैं । एक आम आदमी द्वन्द्ववाद में निष्णात हुए बिना किस प्रकार व्यवस्था परिवर्तन का हेतु बन सकता है यह गांधी ने विश्व को दिखाया । सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन स्थायी न होकर गतिशील होते हैं, तथा ‘विचार‘ एवं ‘क्रिया‘ केवल इसके साधन मात्र है । यह तत्व मार्क्सवाद की बजाए गांधीवाद में प्रमुखतः व्याप्त है । इसलिए लोहिया मार्क्स की तुलना में गांधी के अधिक निकट है।
प्रमुख शब्दावली: आर्थिक पद्धति, इतिहास चक्र समाजवाद, , स्वराज, सामाजिक परिवर्न, वर्ग, वर्ण, शोषण