ग्लोबल वार्मिंग की समस्या संपूर्ण विश्व के लिये चिंतनीय है। इसका सूत्रपात औद्योगिक क्रांति के साथ हुआ है। औद्योगिक क्रांति से विकास की गति में तेजी आयी तब दूसरी ओर ग्लोबल वार्मिंग एवं उससे उत्पन्न समस्या मुंह बांये करके खड़ी है। फलस्वरूप दुनियाँ को चिंतित होना स्वाभाविक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है, जलवायु परिवर्तन होने से कई रोगों का जन्म हो रहा है। महासागरों में जल स्तर बढ़ रहा है, जो मानव जीवन के लिये खतरा है। इसकी रोकथाम हेतु विश्व स्तरीय प्रयास जारी हैं।
इस कड़ी में 2009 में स्वीडन की राजधानी कोपेन हेगेन में दस दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में 193 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रतिनिधि, विदेश मंत्री एवं पत्रकार सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन की खास विशेषता यह थी कि सम्मेलन में पर्यावरण हितैषियों द्वारा रैली निकाली गई थी, जिसने हिंसक रूप धारण कर लिया। जिससे 1000 लोग गिरफ्तार एवं रिहा हुए। इसी प्रकार सं. रा. संघ द्वारा 2050 तक 50 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा कम करने की। बात कही गई। पूर्व सम्मेलनों की भाँति इस सम्मेलन में भी गरीब एवं अमीर देशों में अंतर्विरोध दिखाई दिया। विकासशील देशों की ओर से ब्राजील, चीन एवं भारत की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस सम्मेलन में दीर्घकालीन लक्ष्य, बाध्यकारी समझौता, उत्सर्जन में कटौती, गरीब देशों को वित्तीय सहायता, वन संरक्षण, कार्बन बाजार का जिक्र किया गया।