रीवा जिला जनसंख्या की दृष्टि से सामान्य बहुल क्षेत्र वाला जिला है। यहाँ की कुल जनसंख्या में जनजातियों की संख्या 13 प्रतिशत के लगभग है। सामान्यतः यहाँ की जनजाति उच्च वर्ण के लोगों के सम्पर्क में ही रही है। इस जिले में कोल जनजाति बहुतायत संख्या में पायी जाती है। जिले की त्यौंथर तहसील में कोल जनजातियों की संख्या सर्वाधिक है। मऊगंज एवं हनुमना तहसील में गोंड, बैगा जनजातियों की संख्या ज्यादा है।
जिले की जनजातीय महिलाएँ खेतिहर एवं घरेलू श्रमिक के रूप में ज्यादा क्रियाशील रहती हैं। समय के बदलते परिवेश के साथ अब ये खेतिहर श्रमिक या घरेलू श्रमिक के रूप में कार्य करने से कतराने लगी हैं। प्रमुखतः युवा लड़कियाँ अब अन्य श्रम जैसे निर्माण कार्य, शासन की विभिन्न योजनाओं में होने वाले कार्यों में संलग्न होने लगी हैं। यहाँ की जनजातीय महिलायें भी शोषण एवं अवमानना की शिकार होती हैं। अभी इनमें साक्षरता की स्थिति काफी दयनीय है जिसके कारण ये अपने अधिकारों को ठीक से जान नहीं पातीं। जनजातीय महिलायें घरेलू हिंसा की शिकार ज्यादा होती हैं, इसे वे अपनी नियति और रोजमर्रा की जिन्दगी मानती हैं।
प्रस्तुत शोध पत्र रीवा जिले की जनजातीय महिलाओं के विरुद्ध होने वाली घरेलू हिंसा पर केन्द्रित है जिसमें हिंसा के कारणों एवं परिस्थितियों पर चर्चा की जायेगी।