असहयोग आंदोलन में महिलाओं का योगदान : छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में

बन्सो नुरुटी - इतिहास अध्ययनशाला. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छग).

घर-परिवार, समाज और राष्ट्र की समग्र चेतना एवं स्वरूप को प्रभावित करने वाली महिला का आभास समाज में उसके स्थान समाज व राष्ट्र निर्माण के कार्य में उसकी सक्रिय सहभागिता पर निर्भर करता रहा है। भारत के स्वाधीनता आंदोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन-आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया। उनके द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन में जनता के हर वर्ग ने भाग लिया तथा इस आंदोलन ने भारतीय महिलाओं में अभूतपूर्व जागृति उत्पन्न की गाँधी जी के पुकार पर हजारों महिलाओं ने इस आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने जुलुसों का नेतृत्व किया, विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरने दिये तथा गाँधी जी के रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाया। 1919 ई. के पूर्व गाँधी जी ने महिलाओं को राजनीति में आने के लिये प्रोत्साहित किया, जिसके फलस्वरूप सीमित संख्या में ही सही महिलाओं ने इस आंदोलन में भाग लिया।


छत्तीसगढ़ में महिला जागरण का कार्य पुरुष व महिलाओं दोनों ने ही समान रूप से किया। छत्तीसगढ़ के धमतरी तहसील की महिलाएँ संगठित होकर प्रभातफेरी टोली बनाकर जन जागृति का कार्य पुरुषों की भाँति करने लगीं तथा वे घर-घर जाकर खादी वस्त्र के उपयोग के प्रचार-प्रसार प्रारंभ किया।

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How to cite this article:
नुरूटी बी . (2017) : असहयोग आंदोलन में महिलाओं का योगदान : छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में. रिसर्च एक्सप्रेशन 2 : 2 & 3 (2017) 35 - 39