वैश्वीकरण एवं युवाओं की बदलती जीवन शैली

डॉ. सुचित्रा शर्मा - समाज शास्त्र विभाग, शासकीय विश्वनाथ यादव, तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग, (छ.ग.), भारत

वैश्वीकरण समकालीन विश्व की विशेषताओं में से एक सबसे प्रमुख विशेषता है जो प्रायः यूरोप के प्रमुख विकसित देशों से विगत पिछले डेढ़ दशकों से प्रारम्भ होकर विश्व के विभिन्न भागों में विशेषकर तीसरी दुनिया के विकासशील देशों में तेजी से फेल रही है। जिसके परिणाम स्वरूप उनकी अर्थव्यवस्था, भाासन व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, सामाजिक सांस्कृतिक जीवन शैली एवं उनकी पहचान में अनेक मूलभूत परिवर्तन परिलक्षित होने लगे हैं।


फलस्वरूप हमारे सामाजिक जीवन का प्रत्येक वर्ग चाहे वह युवा हो या वृद्ध हो, स्त्री हो या पुरुष हो, ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला हो या नगरीय क्षेत्र में या वह किसी भी व्यवसाय का हो, सभी पर न्यूनाधिक वैश्वीकरण और नये संचार माध्यमों का प्रभाव पड़ा है। जिसके कारण उनकी व्यक्तिगत जीवन प्रणाली अर्थात् उनकी उपभोग शैली, भोजन, वस्त्राभूषण, शिक्षा, रोजगार, जीवनसाथी के चुनाव, धार्मिक कृत्यों, मनोरंजन और अवकाश के क्षणों का उपयोग, पारिवारिक संरचना, नातेदारी, कार्यपद्धतियों आदि में व्यापक परिवर्तन आया है अर्थात् वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पक्ष, चाहें व रहन-सहन हो, वस्त्राभूशण हो, खान-पान हो, शिक्षण-प्रशिक्षण हो, व्यवसाय का चुनाव हो सभी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काफी प्रभावित किया है जिसके फलस्वरूप हमारे जीवन दर्शन व अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्धों में व्यापक परिवर्तन दिखाई देते हैं।

प्रस्तुत शोध-पत्र विशय से संबंधित द्वैतीयक तथ्यों के अवलोकन और विश्लषण पर आधारित है। जिसके माध्यम से यह जानने का प्रयास किया गया है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने युवाओं की जीवन भौली को कितना प्रभावित किया है।

Pages 67 - 69 | 117 Views | 130 Downloads
How to cite this article:
शर्मा एस. (2019) : वैश्वीकरण एवं युवाओं की बदलती जीवन शैली. रिसर्च एक्सप्रेशन 3 : 4 & 5 (2019) 67 - 69