आज से हजारों वर्ष पूर्व गुरुकुल शिक्षा पद्धति में योग शिक्षा को भी जोड़ा जाता था जहाँ शिष्य गुरु के माध्यम से योग शिक्षा को ग्रहण करते थे और उसको युग-युगांतर तक उसका प्रचार करते थे आज वर्तमान युग में मनुष्य स्वयं के सुख में इतना व्यस्त हो गया है जिससे कि वह हजारों बीमारियों की जकड़न में आ चुका है। अतः नगरीकरण के दौर में योग शिक्षा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा योग शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ करके एक अहम् कार्य किया है। वर्तमान युग में योग शिक्षा चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अत्यंत ही योगदान दे रही है। चिकित्सीय योग को स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए योग मुद्राओं और अभ्यास के आवेदन के रूप में उपयोग किया जाता है, इसमें शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक बाधाओं को कम करने के लिए योग प्रथाओं और शिक्षाओं का भी अपना वर्चस्व है। आज वर्तमान युग में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्वास्थ्य देखभाल, पेशेवरों के लिए योग पद्धति की प्रकृति और इसके कई चिकित्सीय प्रभाव के प्रमाण के बारे में जागरुक किया जा रहा है। इस शोध पत्र शीर्षक 'वर्तमान युग में योगा द्वारा जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना और योग चिकित्सा का योगदान एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भारतीय परिप्रेक्ष्य में है।