भारत-चीन सीमा विवाद एक जटिल और ऐतिहासिक संघर्षहै, जो दोनों देशों के बीच भौगोलिक, राजनीतिक और रणनीतिक मतभेदों का परिणामहै। भारत और चीन के बीच क़रीब 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जोबहुत से विवादित क्षेत्रों से होकर गुजरती है। भारत-चीन सीमा विवाद एक लंबे समय से चला आ रहाभू-राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दा है, जो ऐतिहासिक कारण,सीमाओं और भौगोलिक विवाद से जटिल हो गयाहै।
“हाल के वर्षों में चीन-भारत संबंधों में सुधार हुआ है, लेकिन यह सौहार्द और प्रतिस्पर्धा के दौरके बीच उतार-चढ़ाव जारी रखता है। यह दोनों देशों केबीच खतरे की धारणाओं के बीच बुनियादी बेमेल के कारण और भी बढ़ गया है, जिसकी जड़ शक्ति के संतुलन में बदलाव औरद्विपक्षीय संबंधों में विरोधाभासी संकेतों में निहित है। इसके अलावा, दोनों देशों के प्रमुख शक्तियों के रूपमें उभरने से उन्हें एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए नए उपकरणऔर मंच मिले हैं, जिससे द्विपक्षीय से क्षेत्रीय स्तरों तकचीन-भारत संबंधों का फैलाव हुआ है।”(बाजपाई;2023) “चीन-भारत संबंधों के विकास को रेखांकित करनेके बाद भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों से एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा रहा है।हिमालय क्षेत्र में सीमा विवाद ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बार-बार प्रभावित किया है।(”गोखले:2021) यह विवाद केवल भू-राजनीतिक महत्व तक ही सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता परभी गहरा प्रभाव डालता है।
हिमालयी क्षेत्र में उत्पन्न होने वालेगतिरोध का समाधान न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्णहै। इस शोध में, हिमालयी क्षेत्र में भारत और चीन के बीचजारी सीमा विवाद के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया गया है, जिसमें सीमा रेखा, सैन्य स्थिति, और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधोंपर उसके प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। इस अध्ययन में यह भी देखा गया है कि यहविवाद न केवल दक्षिण एशिया के सामरिक परिप्रेक्ष्य को प्रभावित करता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता पर भीगंभीर असर डालता है। इस शोध में भारत-चीनके ऐतिहासिक कारणों,प्रमुख संघर्षोंके संदर्भ में दोनों देशों के विदेश नीति, सैन्यरणनीति और आर्थिक हितों का भी समग्र अध्ययन किया गया है।