महिलाएं मानव समाज की मूल पृष्टभूमि है, निश्चित भू-भाग, सामान्य भाषा, संस्कृति जनजातीय होने का प्रमाणिक रूप है। पहले जनजातीय महिलाओं का जीवन रूढ़ीगत विचार, परम्परागत मान्यताओं, निर्धनता, दासता आदि से जकड़ा हुआ था लेकिन वर्तमान में जनजातीय महिलाएं रूढ़ीवाद परम्पराओं को तोड़ते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की हर महिला चाहे वो ग्रामीण क्षेत्र की हो या शहरी क्षेत्र की आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने में सतत् प्रयासशील है। उनकी आत्मनिर्भरता और कार्यशीलता को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की अनेक योजनाएं जिसमें से एक है छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। महिलाएं छिन्दकांसा से टोकरी निर्माण कर उसे बेच कर आर्थिक रूप से स्वालंबी हो रही है। महिलाएं अपना काम स्वयं कर रही है साथ ही परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग कर रही है। जनजातीय महिलाएं स्वालंबी होकर गांधीवादी ग्राम स्वराज के आदर्श को चरित्रार्थ कर रही है।
कुंजी शब्द: जनजातीय महिला, स्वालंबी, ग्राम स्वराज हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग (छ.ग.)