जेन्डर-समाज ने, समाज के द्वारा, समाज के लिए-बनाई गयी व्यवस्था है-डाॅ. अंजना श्रीवास्तव

 
"
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में श्जेण्डर एवं जेण्डर भावश् विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है। मुख्य वक्ता के रूप में पुलिस काऊंसलर, लेखिका, कवि, विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भिलाई की डाॅ. श्रीमती अंजना श्रीवास्तव, आमंत्रित थी उन्होंने श्जेण्डर एवं जेण्डर भावश् पर प्रकाष डालते हुए बताया कि जेण्डर शब्द इसी सामाज की देन है समाज ने समाज के द्वारा एवं समाज के लिए बनाई गयी सामाजिक व्यवस्था है। स्त्री और पुरूष में कोई भेद नही है ये हमारी मानसिकता है, जिसे कपड़े, खिलौने, कार्य तथा व्यवहार से अलग कर रहे है। उन्होंने जेण्डर शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि जेण्डर शब्द स्त्री पुरूष नही बल्कि अंग्रेजी शब्द सेक्स से है, जिससे मनुष्य की पहचान होती है।