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भूजल विज्ञान में रोजगार की अपार संभावनायें हैं। हम सभी को भूमिगत जल को प्रदूषण से बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। ये उद्गार राजीव गांधी नेषनल ग्राउण्ड वाटर ट्रेनिंग तथा रिसर्च इंस्टीट्यूट रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री के.सी. मंडल ने आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में भूगर्भषास्त्र विभाग द्वारा आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में व्यक्त किये। भूमिगत जल की खोज को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए श्री मंडल ने विद्यार्थियों को इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया। भूगर्भषास्त्र विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए श्री मंडल ने बताया कि पृथ्वी की सतह के नीचे विभिन्न प्रकार की उपस्थित चट्टानों की प्रकृति तथा जल धारण क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। इन चट्टानांे में जल की उपलब्धतता का पता उसकी विद्युत के प्रति प्रतिरोधकता के आधार पर लगाया जाता है। वर्तमान समय मंे सबसे उपयोगी उपकरण रजिस्टीविटी मीटर की सहायता से पृथ्वी की विभिन्न गहराईयों में स्थित जल की मात्रा एवं उपस्थिति दोनों का पता लगाना एक आम जल भूवैज्ञानिक का मुख्य उद्देष्य होता है।